श्री दुर्गा-सप्तशती के सिध्द-मन्त्र
सर्व लक्ष्य सिद्ध मन्त्र
एवं देव्या वरं लब्धवा ,सुरथः शत्रियर्षभः । सुर्याज्जन्म समासाघ ,सावर्णिभर्विता मनुः ॥
अर्थ
इस प्रकार क्षत्रिय-श्रेष्ठ, सुरथ-भगवती चण्डिका से वर प्राप्त कर, सूर्य से जन्म पाकर, सावर्णि नामक मनु होंगे |
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